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||श्री गणपतीची आरती ||

सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नांची |
नुरवी; पुरवी प्रेम, कृपा जयाची |
सर्वांगी सुंदर, उटी शेंदुराची |
कंठी झळके माळ, मुक्ताफळांची ॥१॥

जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥

रत्नखचित फरा, तुज गौरीकुमरा|
चंदनाची उटी , कुमकुम केशरा|
हिरेजडित मुकुट, शोभतो बरा |
रुणझुणती नूपुरे, चरणी घागरिया|॥२॥

जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥

लंबोदर पीतांबर, फणिवरबंधना |
सरळ सोंड, वक्रतुंड त्रिनयना|
दास रामाचा, वाट पाहे सदना|
संकटी पावावे, निर्वाणी रक्षावे, सुरवरवंदना|॥३॥

जय देव, जय देव जय मंगलमूर्ती |
दर्शनमात्रे मन कामना पुरती ॥धृ॥